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इन लव विथ बिलियनेयर( कॉन्ट्रैक्ट मैरिज ) (भाग-36)







पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि सब लोग डलहौजी के लिए निकल जाते है.....पूरे रास्ते में शांति ही होती है ..तो  आनंद अपनी सीट से उठकर कहता है ,
आनंद - ओह गॉड यार यहां भी शांति को ला रखा है ...

( अवनी ...शांति का नाम सुनकर फिर से ऋषभ को घूरने लगती है तो ऋषभ कहता है )
ऋषभ -( लैपटॉप पर काम करते हुए ही ) क्या हुआ ??
अवनी - ( मुंह फेरकर ) कुछ नहीं...
( ऋषभ ...अवनी को हैरानी से देखता है और फिर से काम करने लगता है की आनंद उसके हाथ से लैपटॉप छीन लेता है और कहता है )
आनंद - बस बहुत हुआ ... यहां शांति को क्यू लाए हो .?😐
ऋषभ - ( हैरानी से ) कौनसी शांति आनंद ??
( आनंद ....अवनी की तरफ देखता है जो ऋषभ  को  पीछे से घुर रही होती है ...वो मुस्कुराते हुए कहता है )

आनंद - वहीं आपकी कॉलेज वाली गर्लफ्रेंड ......
ऋषभ - मेरी कोई गर्लफ्रेंड....
आनंद - ( अवनी को देखकर )भाभी आपको गुस्सा होने की जरूरत नही है ...वो  बस कॉलेज वाली गर्लफ्रेंड थी...और कुछ भी नहीं......
ऋषभ - आनंद चुप हो जाओ ( अवनी की तरफ देखकर ) ये बकवास ....
आनंद - भाई अब जो सच है वही बता ... 
( तभी उसके पीठ पर मुक्का पड़ता है वो मुंह पिचकाए हुए मुड़ता है तो देखता है की संजना उसे गुस्से में घुर रही )
आनंद - क्यों ....क्यों मारा मुझे ?
संजना - बस ऐसे ही लोगो को मारती हु जो गलतफहमी फैलाते है....

( आनंद  मुड़ता है और कान पकड़कर कहता है )

आनंद - सॉरी सॉरी भाभी ...मै तो मजे ले रहा था.....( हंसते हुए ) पर भाई और आपकी सकल देखने लायक थी...... डोंट वरी भाभी ...भाई की लाइफ में कोई दूसरी लड़की थी ही नहीं....उनसे पटी ही नहीं कभी कोई 😂...आप एक अकेली हो जिससे भाई बहुत प्यार करते है ...

( उसे फिर से एक मुक्का पड़ता है तो कहता है )

आनंद - क्या नौटंकी लगा रखी है ??
संजना -( मुंह फुलाए) कुछ भाई के लिए भी छोड़ दो ...
आनंद - दोनो भाई -बहन मिलकर इस नन्ही सी जान को मार दो....😭...

( विहान ड्राइविंग करते हुए नन्ही सी जान सुनता है तो कहता है )

विहान -( खुश होकर ) भाभी प्रेगनेंट है क्या वाउ....
नील -( खिडकी से बाहर देखते हुए ही ) मिस्टर विहान का टीवी के साथ साथ उन्हे भी फोड़ दो... 

( विहान जब सुनता है तो चुप हो जाता है ....और ड्राइविंग करने लगता है ....पीछे अवनी अपनी सीट से उठकर विंडो वाली सीट पर बैठ जाती है और बाहर का नजारा देखने लगती हैं....खुशी और आनंद एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए आंखे बन्द करके बैठे होते है .....संजना ... देव को घुर रही होती है जो विहान के साथ  बैठकर चिप्स खा रहा होता है ....नील अपने में मगन होता है और नैंसी की नजरे नील पर होती है ....वो जब भी मुड़ता ...नैंसी दूसरी साइड फेस कर लेती .....कुछ देर तक उन दोनो का ऐसे ही चलता है तो नील अपनी सीट से उठकर नैंसी के  बगल में बैठ जाता है और कहता है ,

नील - मिस नैंसी ...मुझे ये बॉयफ्रेड होने का नाटक कब तक करना पड़ेगा ....??
नैंसी - ( उसकी तरफ देखकर ) आप जाना चाहते हो तो चले जाइए ...( खिड़की से बाहर देखते हुए  ) वैसे भी अब कोई फायदा नहीं......
नील - ठीक है ...

( फिर वो वहां से उठकर अपनी सीट पर बैठ जाता है पर अब वो बैचेन हो गया होता है ...वो बार बार उसकी तरफ देखकर सोचता है की ( उनकी बातो का क्या मतलब ..?? कुछ तो है ).....
बस अब थोड़ी दूर निकल गई होती है ...दोपहर का टाइम हो गया होता है तो सबको भूख भी लग जाती है ....आनंद .....खुशी का हाथ छोड़ कुरकुरे खाना शुरू हो जाता है तो पिछे से उसके सर पर टक से कोई मारता है वो मुड़ कर देखता है की फिर से संजना ही है ,.....

आनंद - ( घूरते ही ) संजना ..कौनसे जन्म का बदला ले रही हो ???
संजना - भाभी ....भी बैठी है साइड में ...अगर दिमाग हो तो उन्हे भी खिला दो ...
आनंद - ( हंसते हुए ) दिमाग खिला दु ......

( ऋषभ अपनी सीट पर बैठे हुए ही एक पेन आनंद को मारकर कहता है )

ऋषभ - (गुस्से में) अगर तुम दोनो अभी शांत नही हुए तो ....बस रुकवा  कर यही किसी जंगल में छोड़ दूंगा...
आनंद - ये जुर्म है आप मेरे बोलने पर रोक नहीं लगा सकते 😭
ऋषभ - खुशी .....आप अभी अपने घर चले जाओ ??
खुशी - ठीक है जीजू ...
आनंद - क्या भैया 😅 मोरे प्यारे भैया ...मै तो मजाक कर रहा था ....आप भी ना कुछ समझते ही नही  ....( अवनी की तरफ देखकर) तभी भाभी से लाते मिलती है ....

( अवनी ये सुनकर ...बाहर देखना बंद कर देती हैं और ऋषभ को सवालिया नजरो से घूरने लगती हैं....ऋषभ ..संजना को  और संजना अपनी जगह से उठकर ...आदि के बगल में बैठ जाती है क्योंकि ..रिया सबके लिए ..लंच निकाल रही होती है ....तभी आदि कहता हैं)
आदि - ( ऋषभ से ) ये लात वाली बात क्या है ??
आनंद -( बीच में ही )  वो ..…..फिल्म देखी है क्या करीब करीब सिंगल ...बस उसी में वो दोनो लोग लाते पीते है ....
( आदि हैरानी से देखने लगता है )
आनंद -अरे मतलब चाय...... बस वही कर रहा .....
आदि - ओह .....

( संजना अपनी सीट से बैठे ही आनंद को घूरने लगती जय ...आनंद अपने मुंह पर उंगली रख लेता है .....ऋषभ काम करते हुए उन दोनो को देख लेता है और समझ जाता है की ये की काम किसका है ......आधी दूर जाने के बाद बस एक अच्छी जगह पर रोक लेते हैं ...सब लोग  फिर लंच करने लगते है .....आदि - रिया एक ही प्लेट में , आनंद और खुशी भी .....ऋषभ अपने काम पर लगा होता है और अवनी उसे बैठ कर घुर रही होती है और सोचती है की  ( हे भगवान जबसे इनसे शादी हुई है मैने गुस्सा और घूरना दोनो काम करना शुरू कर दिया ( सांस लेते हुए ) खुद को शांत कर अवनी ) .....फिर वो अपनी जगह से उठकर देव - नील को खाना देने चली जाती है क्योंकि वो लोग कहते है की वो बाहर ढाबे से खायेंगे ..... अवनी उन दोनो को डांटती है और  खाना परोस कर कहती है ,

अवनी - देव और नील ....तुम दोनो बाहर से कुछ नही खाओगे ...( नाराज होते हुए ) एक तो मुझे दीदी कहते हो ऊपर से बाहर का खाना....खाना हैं..
नील - ओके सॉरी दी ....
देव - आप नाराज मत होइए .वरना मै रोने लगूंगा 
अवनी - ( उसका कान पकड़कर ) शुरू हो गई तुम्हारी नौटंकी .....
देव - ही ही .....( नील से ) वैसे हमारी बहन भी अवनी दी की तरह ही होंगी ना ....( ऋषभ से ) जीजू ...हमारी दी के बारे में कुछ पता चला क्या ??
ऋषभ - अभी तक तो नही ....
देव - ओके गुरु ....
विहान - ( हंसते हुए  ) ये गुरु कबसे बन गए ....ये तो अकडू है ...
अवनी -( विहान को) देवर जी ...अब आप खुद खायेंगे या  आपकी ट्विंकी को बुलाऊं....
विहान - ( शर्माते हुए ) क्या भाभी आप भी ना ....( अपना फेस ढक कर ) मै खुद ही खा लूंगा .....
रिया -( ऋषभ से ) ओय ऋषभ तुम्हारे लिए क्या मीटिंग करवानी पड़ेगी की ऋषभ इस टाइम खाना खायेगा ....इस टाइम गाएगा ...
आदि - देखो मेरी बहन भूखी है ...चलो दोनों एक प्लेट में खाओ हमारी तरफ.....
अवनी - ( धीरे से ) आदि भाई ...नदी मे धकेल दूंगी आपको ....
आदि - क्या हुआ अवनी ??
अवनी - कुछ भी तो नहीं.....मुझे क्या होगा.....
खुशी - ( अवनी से ) ओ ऋषभ जी की रानी....खाना ले जाओ अब...
अवनी - ( दूसरी तरफ मुंह करके ) आज किसी न किसी को तो धक्का मारूंगी जरूर .....

( सब उन दोनो को देखकर हंस रहे होते है ..ऋषभ....खुशी के बात सुनकर मुस्कुराते हुए अपना काम करने लगता हैं.....नैंसी और संजना थोड़ा सा ही खाकर सो जाती है ....विहान खाने के बाद  फिर से बस चलाने लगता है .....और अवनी खाना निकालती है और ऋषभ के सामने करके कहती हैं)

अवनी - ये लिजिए .....
ऋषभ - आप रख दीजिए ....मैं खाता हु ...

( तभी नैंसी अपनी आंखे खोलती है और  सीट से उठकर  ऋषभ के हाथ से लैपटॉप और बैग छीन  ऊपर रखकर कहती हैं )

नैंसी - जीजू .....आप यहां घूमने आए है ना की काम करने .....और अगर काम ही करना है तो वापस चले जाइए कंपनी ...

( ऋषभ उसे हैरानी से देखने लगता हैं....अवनी मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगती ही ....नैंसी की आवाज सुनकर सब लोग पीछे देखने लगते है....तभी आनंद कहता हैं)

आनंद - मुझे लगता है मेरी साली साहिबा गई अब ..
खुशी - क्या ...क्या मतलब ??
आनंद - भाई को अपने काम में डिस्टरबेंस नही पसंद ....
खुशी - नैंसी को बुलाइए ...प्लीज
आनंद - आपको पता ..मैने एक बार डिस्टर्ब किया था ....भाई ने मुझे पूरे रोड पर दौड़ाया था.... 
खुशी - ओह ये तो अच्छा है ना ...आप तभी तो फिट है ...
😘
आनंद -( खुशी की तरफ देखकर इशारे में कहता है आप पागल है क्या )...
खुशी - ( गुस्से में ) मुझे नही बात करनी ...😡
आनंद - आपको पता नंगे पैर दौड़ाया था ...शूज निकलवा दिया था धोखे से 😟उफ्फ कैसा जालिम भाई है मेरा ....
खुशी - मेरी नैंसी का क्या होगा ??

( पीछे से आदि आकर कहता है ) 

आदि - जो मंजूरे ऋषभ होगा ....
रिया - इसे बचपन से ही इसके काम में डिस्टरबेंस नही पसंद....
खुशी - मेरी खुशी का क्या होगा .....
( पीछे से देव कहता हैं) 
देव - जो आदि भाई ने कहा वही होगा ....

( सब एक साथ बैठ गए होते है ...संजना बेफिक्र होकर सो रही होती है .....नील ...अपनी सीट से ही देख रहा होता है ....अवनी ..ऋषभ से थोड़ी दूर खड़ी हो जाती हैं......तब ऋषभ कहता है )

ऋषभ -( मुस्कुराते हुए ) जैसी आपकी इच्छा ...
( आनंद ये सुनकर अपनी सीट से गिर जाता है और कहता है ) 
आनंद -( ऋषभ को ) धोखेबाज इंसान ....
अवनी - क्या हुआ देवर जी आप नीचे क्या कर रहे है ??( खुशी से ) तुम हंसना बंद करो और उठाओ इन्हे .....

( खुशी...आनंद को हाथ देकर बिठाती है और ऋषभ हंसते हुए खाना खाने लगता है ....सब उसके बदले हुए व्यवहार से थोड़ा हैरान होते पर खुश होते है की ऋषभ अब सबसे घुल मिलकर रह रहा .....बस का सफर बस यू ही चलता रहता है .....विहान रास्ते में आ रहे हर जगहों की जानकारी देता रहता है ....सब उससे पूछते है की इतना कुछ कैसे पता तो वो कहता की ..." मुझे पता था ये दिन आएगा ....इसलिए सारी जगहों की इन्फो याद कर ली है .....उसे सुनकर आनंद कहता है )

आनंद - वाह भाई वाह...आप  तो देवदास के साथ साथ भूगोल दास भी बन गए ग्रेट ......
विहान - थैंक्स ब्रो ...पर मुझे ये तारीफ पसंद नही आई ....
ऋषभ - विहान ....ड्राइविंग पर ध्यान दो ...
आनंद - तारीफ कर भी कौन रहा ...
आदि - विहान भाई .....आगे रास्ता ठीक नही नजर आ रहा तो आप ध्यान से चलाइए....
विहान - ( आनंद से ) तुम रुको अभी बताता हु .....

( फिर वो अपनी सीट से उठकर आनंद के पास खड़ा हो जाता है और कहता है )

विहान - चलो तारीफ करो ....
आनंद -( आखें बड़ी करके ) आप यहां क्या कर रहे हो....
विहान -😟देखो मै नाराज हो जाऊंगा ....तारीफ करो जल्दी ...
नील - मिस्टर विहान ड्राइविंग कौन कर रहा??
विहान - मुझे क्या पता ........( आनंद से ) तुम तारीफ करो ...
आदि - ओह नो ...😨

( वो भागकर ...ड्राइविंग सीट पर जाता हैं और बस को ब्रेक लगा देता है क्योंकि वो किसी के खेत में घुसने वाला होता है ...अचानक से ब्रेक लगने की वजह से ....विहान ..धड़ाम से वही गिर जाता है ...संजना जो बेफिक्र सो रही होती है वो हड़बड़ा जाती है और उसके  माथे पर थोड़ी चोट लग जाती है ...देव भी बस में घूम घूमकर गाने सुन रहा होता है तो ...वो सीधे जाकर विहान के ऊपर ही गिर जाता हैं.....और सभी लोगो ने सीट बेल्ट पहनी होती है तो सेफ रहते है ......ऐसी हालत देखकर सब लोग हड़बड़ा जाते है ...ऋषभ और नील ...भागकर .. विहान और देव को उठाते है ....आगे ड्राइविंग सीट पर आदि की हालत खराब हो गई होती है क्योंकि..वो थोड़ा डर जाता है की अगर आज बस नहीं रूकती तो क्या हो जाता ....जैसे ही रिया उसके पास जाती है ...आदि उसे पकड़कर उसके गले लग जाता है ..रिया उसकी पीठ को सहलाने लगती है ....अवनी और खुशी भागकर ..संजना के पास जाती है और उसे सीधा करके उसके माथे पर .....अवनी अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़ कर बांध देती है ताकि ब्लड निकलना बंद हो जाए....देव की टांगो में पेन होने लगता है तो ऋषभ उसे लिटाकर सहलाने लगता है ....विहान के हाथो और टांगों दोनो में थोड़ी चोट लगी होती है तो ...आनंद और नैंसी ..उसके पैर पर पट्टी बांध देते हैं.....नील बस से बाहर निकलकर किसी की मदद लेने की कोशिश कर रहा होता है ....अंदर आनंद कहता है ,)

आनंद -( विहान को ) और टूट - फूटे इंसान ...इस हालत में प्रपोज करोगे ट्विंकी को ....??
विहान - आ... आ 
आनंद - ये देखो.....ये टूटा - फूटा इंसान ...इस हालत में भी प्रपोज करेगा......
खुशी - आनंद जी आप जले पर नमक क्यों  छिड़क रहे .....( विहान से ) विहान भाई आप ठीक हो जाएंगे....
आनंद - देखना टिवंकी का जवाब  ना ही होगा .....
विहान -( रोनी सूरत बनाकर ) चुप रहो तुम ....
( आनंद वही खड़े खड़े हंसने लगता है की नैंसी कहती हैं)

नैंसी - बहुत हंसी आ रही आपको ...
आनंद -( मुंह पर उंगली रख कर ) अब नही हसूंगा ...
नैंसी - गुड बॉय ...
आनंद -( खुशी से ) ये साली साहिबा में ...ऋषभ भाई की आत्मा आ गई है क्या ??🤔
खुशी -प्यारे पातिदेव जी ये बात आप नैंसी से ही पुछ लीजिए ..
आनंद - इससे अच्छा तो मै दो - तीन बाते और लाते आपसे खा लूं 😜
( अवनी ये सुनकर....खुशी को देखने लगती हैं तो वो कहती हैं) 
खुशी - ऐसा कुछ भी नही है अवनी .....
आनंद - ऐसा ही है.....( ऋषभ से ) और क्या करना है भाई ?...हॉस्पिटल जाओगे क्या ??
विहान -( कहराते हुए ) नही नहीं....
आनंद - ये देखो ....ये अभी भी तारीफो का भूखा है ..रुको अभी आपकी तारीफ में कुछ अल्फाज कहता हु.......
देव -( विहान से ) भाई मेरा तो कुछ सोच लेते ...मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है ...
संजना - तुम कुंवारे ही जाओगे ..😏
देव - आपको अपने साथ ले जाऊंगा फिर कुएं में डाल दूंगा .........

( संजना फिर से कुछ कहने ही जाती हैं तो ऋषभ इशारों से शांत रहने के लिए कहता हूं......

आदि -( सबसे ) आज हम अपने प्रिय भ्राता श्री के आशीर्वाद से ईश्वर को प्यारे हो जाते 😨
( विहान अपना सर नीचे करके सॉरी कहता है और दूसरी साइड फेस कर लेता हैं...)
आदि -( विहान के पास बैठकर ) विहान भाई आप सॉरी मत कहिए ....अच्छा ट्विंकी को प्रपोज करने के लिए कुछ प्लान बनाया....
विहान - नहीं भाई ...
आदि - मतलब  हमे ही सोचना पड़ेगा .....चलो कोई बात नही ...
( फिर सबको कहता है की अभी कुछ देर के लिए ड्राइविंग रोक कर कही चलते हैं किसी होटल में ......सब लोग रेस्ट कर लेंगे तब तक......तभी नील बस में चढ़ ते हुए कहता हैं)
नील - मिस्टर आदि ....यहां कोई होटल या मैकेनिक नही है ......
आदि - ओह .....पर हम मैकेनिक का क्या करेंगे ....
नील - हमारी बस पंचर हो गई है ...
अवनी - क्या ....अरे हम डलहौजी कैसे जायेगे अब ...
नील - दी ...आप अपसेट मत होइए ...यहां कुछ ही दूर में एक गांव है ...मैं कुछ लोगो को लेकर आया हु ...उनकी मदद से...इन सभी लोगो का इलाज करा सकते हैं,...
रिया  - वो तो ठीक है पर बस का इलाज कौन कराएगा ??
ऋषभ - क्या ???
रिया - मतलब बस का पंचर 😜...
खुशी - नील भाई ...थोड़ा अजीब नहीं है ....मतलब ऐसे कैसे जा सकते हैं ??..कुछ गड़बड़ हुआ तो ??
आनंद - मेरी प्यारी खुशी जी ...ज्यादा तो नही जानता पर इतना जरूर जानता हु की गांव वाले भरोसे मंद होते है और किसी की मदद करने में पीछे नहीं रहेंगे .....

( तभी कोई बस में चढ़कर कहता हैं)

आदमी - शहरी बाबू .... हम लोग आ गए है ....आप चाहे तो चल सकते हैं...
नील - जी काका ...
देव - वाह भाई  आप सच में बुलाकर लाए हो ...मुझे तो भरोसा ही नहीं हो रहा...
अवनी - रुको चींटी काट कर बताती हु ....
देव - ना बाबा ना .......

( सब लोग हंसने लगते है .....फिर कुछ लोग बस में चढ़ते है और विहान ,देव को टांग कर गांव के अंदर ले जाने लगते है ...ऋषभ और नील उनके साथ ही जाते हैं....पीछे पीछे अवनी ,रिया ,नैंसी ,खुशी ...संजना को पकड़कर जाती है और ...आदि और आनंद ..बस को वही लॉक करके कुछ जरूरी सामान लेकर गांव के अंदर घुस जाते है ......गांव बहुत ही सुंदर होता है ....चारो तरफ घर थे सुर बीच में एक बरगद का पेड़ ...जिसकी छाव मैं कई लोगो बैठे होते हैं...तो कुछ बात कर रहे होते हैं,....आस पास बच्चे क्रिकेट खेल रहे होते है तो आनंद कहता है ,)

आनंद - भाई ...इन टूटे - फूटे लोगो को आप संभालो ... मैं  बॉल संभाल कर आता हु ...
खुशी - ( आनंद का हाथ पकड़ कर) नहीं रुकिए ....

( आनंद रुक कर खुशी का माथा चूम लेता है और कहता है )
आनंद - ठीक है बाबा... नही जाता ...

( अवनी चारो तरफ नजरे घुमाकर देखती है तो नोटिस करती है कि सब लोग हैरानी से आनंद को देख रहे ....वो धीरे से कहती है " देवर जी ये सब काम आप बाद में कर लेना " ....तभी ऋषभ ..अवनी का हाथ पकड़ लेता है और कहता हैं)

ऋषभ - आप इधर - उधर मत घूमिए ...
अवनी - मैं तो कही गई भी नहीं....
ऋषभ - मुझे नही पता ....
अवनी - आप पागल है ...

( मुसकुराते हुए वो अवनी को देखता है और हाथ खींचते हु ...मुखिया जी के घर की तरफ बढ़ने लगता हैं....पीछे आदि - रिया बाहों में हाथ डाल कर आ रहे होते हैं...तो गांव वाले उन्हे हैरानी से देखने लगते है ...कुछ औरते उन्हे छजजे से देख कर मुस्कुरा रही होती है .....वो लोग मुखिया से मिलते है और और अपनी प्रॉब्लम बताते हैं तो ....मुखिया जी उनका शहरी बाबू और शहरी बहुरिया कहके अभिवादन कर के घर के अंदर ले जाते हैं ....मेहमानो को आया देखकर ..घर के बच्चे ..उधम मचाने लगते है तो मुखिया ( सुरेश रावत ) वो उन लोगो को डांट कर बाहर खेलने को भेज देते हैं.......नौकर जलपान लेकर आते है ...पहले सब थोड़ा हिचकिचाते है पर ऋषभ को पानी पीते देख ...सब पीना शुरू कर देते है ...मुखिया जी देव - विहान को एक कमरे में और संजना को ऊपर के एक कमरे में भेज देते है अपनी पत्नी के साथ तो अवनी और खुशी भी ऊपर रूम में चली जाती है ....नीचे नैंसी और संजना ...मुखिया से पूछती है की ....कितना समय लगेगा ....बस ठीक होने में ....तो मुखिया जी बताते है कि ... उनके गाव में एक मैकेनिक तो है पर वो शहर गया है किसी काम से तो कल सुबह ही कुछ हो पायेगा ......वो सब मुंह लटका लेटे है तो ...आनंद कहता है ,
आनंद - चलो अच्छा है ..इसी बहाने हैं गांव घूमने को तो मिलेगा ....( ऋषभ से ) याद है ना भाई ये सब हमने सिर्फ किताबो में पढ़ी थी .....असली मजा क्या है गांव का 😍वो तो अब एंजॉय करूंगा ...

ऋषभ -( खुश होकर ) क्या सच में ....( मुखिया जी से ) अच्छा यहां पर तांगे की सैर हो जाएगी क्या ??
रिया - यार ऋषभ तुम तो बिल्कुल ही बदल गए हो ...
ऋषभ - क्या ...क्या मतलब ??
आनंद - ( ऋषभ के पीछे से गले लगकर ) यही की अब आप अकडू से ...... प्यारे वाले ऋषभ भैया हो गए हों...
ऋषभ - नही..ऐसा...
नैंसी - और ये सब हुआ है हमारी अवनी दीदी की प्यार की वजह से ....
ऋषभ - ( घूरते हुए) चुप...चुप..
रिया - सही तो कह रही है .....
( तभी मुखिया जी हंसने लगते है तो सब थोड़ा सकपका कर अपनी चेयर पर फिर से बैठ जाते हैं.....फिर वो अपनी पत्नी को खाने के प्रबंध के बारे में कहते है तो रिया कहती है )
रिया - आप अकेली कैसे कर लेंगी .... हम भी आपकी थोड़ी मदद करेंगे ...
मुखिया जी की पत्नी - अरे नाही हो बहुरिया ...हम सब कर लेगे ...आप लोग आराम कीजिए..
आदि - आप करने दीजिए...इसी बहाने ..ये थोड़ा बहुत सीख लेंगी...
रिया - बिल्कुल सही कहा मेरे आदि जी...
नैंसी -( खांसते हुए) अब चले ..अगर नयन मिलाप हो गया हो तो ....
( आदि हंसने लगता है ...आदि उन तीनों लोग के साथ रशोई में चले जाता है .....बाहर तबतक वैध जी आ जाते है तो सब लोग ऊपर कमरे में जाते है .... वैध जी तीनों को  कुछ जड़ी बूटियां लगाते हैं और मलहम पट्टी करके ...कल वापस आने का वादा पूरा करके चले जाते है......मुखिया जी गांव में हो रही पंचायत में चले जाते है तो घर पर उनका बड़ा बेटा दीपक ( जो नील - देव की उम्र का है ) ....रहता है ताकि मेहमानो को कुछ चाहीए हो तो वो दे सके .....
नीचे खाना बन रहा होता है ..नील और आनंद  ऋषभ को बताकर गांव घूमने निकल जाते है .और . जड़ी बूटी के असर से वो तीनो सो गए होते है ...थोड़ी देर बाद ऋषभ उस कमरे में जाता है जहां  अवनी बैठी होती है ....ऋषभ को आया देखकर वो कहती है )

अवनी - हमें कबतक रुकना पड़ेगा ?
ऋषभ - ( अपनी शर्ट खोलते हुए ) कल तक ...
अवनी - ये ...ये क्या कर रहे हैं आप??
ऋषभ - शर्ट निकाल रहा हु ...
अवनी - पर क्यों ???
ऋषभ - ( मुस्कुराते हुए ) बस यू ही ..
अवनी -( बेड से नीचे उतर कर ).. नहीं..

( अवनी फिर कमरे से भागने ही वाली होती है की ऋषभ उसे खींचकर अपने करीब कर लेता है और बाहों में भरकर उसे कसकर पकड़ कर कहता है ...)
ऋषभ - ये ... आप हमेशा भागती क्यू रहती हैं??
अवनी -( ऋषभ को शर्टलेस देखकर ) आप जाकर शर्ट पहन लीजिए ...( अपनी आंखे बंद कर लेती है ).....
( ऋषभ धीरे से अपनी शर्ट उठाता है और ....अपने ऊपर रखकर ..अवनी के माथे को चूम लेता है और कहता है )

ऋषभ - मैं रूल फॉलो कर रहा... आपने साइन भी किया था ...
( अवनी कुछ नही कहती है)
ऋषभ - ओके आईएम सॉरी...अब मै नही टच करूंगा आपको ....आपके बिना परमिशन के ...पर बस एक बार ....
( अवनी अपनी आंखे खोलती है तो देखती हैं की ऋषभ ने अपनी शर्ट पहन ली है और ..तभी उसके सामने खड़ा हो जाता है और उसके माथे पर बिंदी लगाकर कहता हैं)
ऋषभ - अब आप अच्छी लग रही है ....

( अवनी उसे हैरानी से देख रही होती ...की तभी तेज से विहान और देव की चिल्लाने की आवाज आती हैं )
🌻

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नोट - सॉरी readers Phone की हालत कुछ ठीक नहीं है इसलिए पार्ट लेट हो गया 

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12 Comments

Shivani Sharma

24-Apr-2022 10:49 PM

Bahut khoob

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Archita vndna

24-Apr-2022 09:26 PM

Very nicely written

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Bahut khoob

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